प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) भारत में जितने चर्चित हैं, उतना ही वो विदेशों में भी लोकप्रिय हैं। पीएम मोदी अगर विदेश जाएं, तो उनकी लोकप्रियता साफ़ नजर आती है। विदेशो में रह रहे भारतीय समुदाय के लोग तो नरेंद्र मोदी की एक झलक पाने को बेकरार रहते ही हैं, साथ ही साथ जो विदेशी लोग हैं, या बिजनेस मैन हैं, वो भी पीएम मोदी से मुखातिब होने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं।
ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के विदेशी दौरे का नतीजा ही है कि दुनिया में भारत एक विश्व गुरु के रूप में उभरकर सामने आया है। कोरोना काल में जिस तरह से भारत सरकार ने छोटे से छोटे देशों को वैक्सीन उपलब्ध कराया, उसका मुरीद आज पूरा विश्व है। पीएम मोदी के विश्वास का ही नतीजा है कि अब विदशी कंपनियां भारत में आकर धीरे-धीरे निवेश कर रही हैं। हर पल ये सुनने को मिलता है कि कोई ना कोई विदेशी उद्योगपति भारत आता है।
इन्हीं में से एक हैं माइक्रोसॉफ्ट के CEO बिल गेट्स (Bill Gates), जिनका भारत आगमन कुछ ज्यादा ही हो गया है। बिल गेट्स भारत की संस्कृति से काफी प्रभावित हैं और ऐसा वो हमेशा खुले मंच से इसपर कहते भी हैं। हाल ही में एक डॉली चायवाला की मुलाकात बिल गेट्स से हुई थी और आज वो आम व्यक्ति खास व्यक्ति बन चुका है।
खैर, अब मुद्दे पर आते हैं और जिस बारे में हमें बात करनी हैं, उसपर बात कर लेते हैं। हाल ही में माइक्रोसॉफ्ट के CEO बिल गेट्स (Bill Gates) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) का इंटरव्यू लिया, जहाँ वो सवाल अंग्रेजी में कर रहे थे लेकिन पीएम मोदी जवाब हिंदी में दे रहे थे। अब जनाब सवाल ये है कि बिल गेट्स को हिंदी तो आती नहीं, तो पीएम मोदी की बता समझ कैसे रहे थे?
हालांकि, ऐसा नहीं है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) बिल गेट्स (Bill Gates) की बातों का जवाब अंग्रेजी में नहीं दे सकते थे। पीएम मोदी जरूर उनकी बातों का जवाब अंग्रेजी में दे सकते थे लेकिन हमें ऐसा लगता है कि ये प्रधानमंत्री की अपनी ये नीति है कि वो हिंदी में जवाब दें, ताकि हमारे देश के लोग बातों को अच्छे से समझ सकें और विदेशों में भी हिंदी का प्रभाव बढ़ सके।
वैसे सवाल अभी भी वही है कि बिल गेट्स (Bill Gates) कैसे पीएम मोदी की बातों की समझ रहे थे? तो जवाब ये है कि ये सब टेक्नोलॉजी का कमाल है। ये टेक्नोलॉजी क्या है, कैसे काम करता है? इसके बारे में आगे विस्तार से समझने की कोशिश करते हैं।
इस टेक्नोलॉजी से हिंदी समझे बिल गेट्स
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और बिल गेट्स (Bill Gates) के इंटरव्यू के दौरान एक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हुआ था, जिसकी वजह से दोनों एक दूसरे की भाषा को अच्छे से समझ पा रहे थे और इस टेक्नोलॉजी का नाम है रियल टाइम ट्रांसलेटर। यही वो टेक्नोलॉजी है, जिसके जरिये कोई भी किसी भी भाषा को समझ सकता है। ये टेक्नोलॉजी दूसरी भाषा का अनुवाद कर देता है।
#WATCH दिल्ली: बिल गेट्स के साथ बातचीत करते हुए PM मोदी ने कहा, “अगर हम AI को एक मैजिक टूल के रूप में करेंगे तो बहुत बड़ा अन्याय होगा, AI का इस्तेमाल अपने आलसीपन को बचाने के लिए करता हूं तो ये गलत रास्ता है…मुझे तो चैटजीपीटी के साथ प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए। मैं AI से आगे जाने की… pic.twitter.com/xYdJm4LQ64
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 29, 2024
वीडियो में आप देखेंगे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और बिल गेट्स (Bill Gates) ने अपने कानों में ईयरबड्स लगाए हैं। बता दें कि इस ईयरबड्स को कोई भी मार्केट से खरीद सकता है। टाइमकेटल के एम3 ट्रांसलेटर, सैमसंग गैलेक्सी बड्स और पिक्सेल बड्स प्रो का प्रचलन कुछ ज्यादा ही है। हालांकि, इनकी कीमत 10 हज़ार से कम नहीं होगी।
कैसे काम करता है रियल-टाइम ट्रांसलेटर?
रियल-टाइम ट्रांसलेटर की बात करें तो ये एक ऐसा डिवाइस है, जो रंत समझ सकता है कि कोई एक भाषा में क्या कह रहा है और तुरंत उसे दूसरी भाषा में अनुवाद कर देता है।
आवाज पहचाना: सबसे पहले ये जब कोई बोलता है, तो एक माइक्रोफोन से उस शब्द को पकड़ता है और उन्हें डिजिटल सिग्नल में बदल देता है। ये सिग्नल कोड की तरह होते हैं जिन्हें कंप्यूटर समझ सकता है।
भाषा की समझ: इसके बाद, कंप्यूटर यह पता लगाने के लिए एक विशेष प्रोग्राम का उपयोग करता है कि कौन सी भाषा बोली जा रही है। यह अनुमान लगाने के लिए भाषण में ध्वनियों और पैटर्न को ध्यान से सुनता है।
अनुवाद: एक बार जब कंप्यूटर भाषा जान लेता है, तो वह अनुवाद करना शुरू कर देता है। यह बोले गए शब्दों को छोटे भागों में तोड़ देता है। फिर, यह अपनी मेमोरी में प्रत्येक भाग को देखता है, जो विभिन्न भाषाओं में बहुत सारे शब्दों और वाक्यांशों और उनके अनुवादों से भरा होता है।
संदर्भ और व्याकरण: कंप्यूटर केवल शब्द दर शब्द अनुवाद नहीं करता। यह शब्दों के पीछे के अर्थ को समझने का भी प्रयास करता है।
आउटपुट देना: अर्थ समझने के बाद, कंप्यूटर अनुवाद हुए शब्दों को नई भाषा में वाक्यों या वाक्यांशों में वापस जोड़ता है। यह सुनिश्चित करता है कि व्याकरण और संरचना सही है, इसलिए यह स्वाभाविक लगता है।
डिलिवरी: अंत में, अनुवादित शब्द श्रोताओं को समझ आ जाते हैं।
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